अंतर्राष्ट्रीय व्यापार क्यों करते हैं, एवं क्या कारण है?
अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्यों करते हैं:-
क्योंकि प्रत्येक देश अपने सभी प्रकार के संसाधनों में संतुलन बनाए रखना चाहता है। जिस देश के पास जिस संसाधन की अधिकता है, वह उसका निर्यात(Ecport)करता है एवं जिस देश के पास उसी संसाधन की कमी है वह उस संसाधन क आयात(Import) करता है।
उदाहरण:- जैसा की नीचे चित्र में दर्शाया गया है की देश-1 के X संसाधन की अधिकता है, वहीं देश-2 के पास X संसाधन की कमी है। तो देश-1 अपने संसाधन को को संतुलित करने के लिए उस संसाधन के कमी वाले देश-2 को निर्यात(Export) करता है।
इसी प्रकार देश-1 के पास Y संसाधन की कमी है तथा देश-2 के पास Y संसाधन की अधिकता है। तो देश-1 अपने Y संसाधन की कमी को संतुलित करने के लिए देश-2 के Y संसाधन का आयात(Import) करता है।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के आधार पर अर्थव्यवस्था के प्रकार:-
खुली अर्थव्यवस्था (Open Economy):-
- खुली अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है, जहां आयात एवं निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं होता है।
- इस अर्थव्यवस्था में किसी को किसी से भी व्यापार करने की छूट होती है।
- विशेषताएं:- 1. इस तरह की अर्थव्यवस्था आंतरिक/घरेलू एवं बाहरी/अंतरराष्ट्रीय दोनों व्यापारों पर निर्भर करती है।
2. यह अर्थव्यवस्था अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं के प्रति संवेदनशील होती है।
उदाहरण- जब कोई देश-1 किसी दूसरे देश-2 से आयात या निर्यात करेगा और देश-2 में कोई घटना घटित होती है तो देश एक पर भी इस घटना का असर दिखाई पड़ेगा।
बंद अर्थव्यवस्था (Closed Economy):-
- बंद अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है, जहां आयात एवं निर्यात पर प्रतिबंध होते हैं। जिसका अर्थ है की अर्थव्यवस्था पूर्णतः आत्मनिर्भर होती है।
- विशेषताएं- 1.यह अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं के प्रति असंवेदनशील होती है।
2. यह केवल आंतरिक व्यापार पर निर्भर करती है।
अर्थव्यवस्था के प्रकार:-
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था (Capitalistic Economy) :-
- पूंजीवादी अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जहां व्यक्तिगत स्वतंत्रता अर्थात सरकार का नियंत्रण संशोधनों पर नहीं होता एवं इस अर्थव्यवस्था का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होता है।
- इस उदारवादी अर्थव्यवस्था (Liberal Economy) एवं मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था भी कहते हैं।
- विशेषताएं- 1. सरकार का हस्तक्षेप नहीं होता है। फ्रेंच भाषा में इसके लिए लाइसेंज-फेयर शब्द का प्रयोग किया जाता है।
2. इस अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र का वर्चस्व होगा एवं सार्वजनिक क्षेत्र का अस्तित्व नहीं होगा।
3. इसमें उपभोक्ता का प्रभुत्व होता है, अमीर और गरीब का फासला अत्यधिक होगा एवं रखो और निकालो की नीति होगी।
4. इस अर्थव्यवस्था में संसाधनों का शोषण और पर्यावरण का क्षरण अधिक होता है।
समाजवाद अर्थव्यवस्थ(Socialistic Economy):-
- समाजवाद अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है, जहां सरकार का नियंत्रण होता है एवं प्रमुख उद्देश्य समाज कल्याण होता है|
- इसे निर्देशित अर्थव्यवस्था(Command Economy) भी कहा जाता है|
Note:-1.कार्ल मार्क्स-पुस्तक-दास कैपिटल-पूंजीवाद की धज्जियां उड़ा दी| कार्ल मार्क्स को आधुनिक समाजवाद का जनक कहा जाता है
- उद्देश्य-समाज का कल्याण
- विशेषताएं-
- सरकार का नियंत्रण
- रखो और रखो नीति(Hire &Keep Policy)
- अमीर और गरीब के मध्य फासला कम
- भाई भतीजाबाद(Nepotism) की प्रणाली की अर्थव्यवस्था में पाई जाती है|
- इस अर्थव्यवस्था में लाल फीता शाही(Red tapism) और भ्रष्टाचार अधिक पाया जाता है|
वैश्विक महामंदी 1929-
- इस महामंदी को विश्व की अब तक की सर्वाधिक विध्वंसक विध्वंसक आर्थिक त्रासदी माना जाता है|
- इसकी शुरुआत 29 अक्टूबर 1929 को अमेरिका में शेयर मार्केट के गिरने से हुई थी| इस दिन मंगलवार का दिन था, इसीलिए इसे काला मंगलवार (Black Tuesday) भी कहा जाता है|
- इस महामंदी से पहले विश्व के उद्योगपतियों की धारणा यह थी की “पूर्ति अपनी मांग स्वयं उत्पन्न कर लेती है” इसीलिए सभी उद्योगपति उत्पादन की मांग को नजरअंदाज कर के केवल उत्पादन पर ध्यान देते थे, इसी विचारधारा के कारण उद्योगपतियों ने उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दिया उसकी बिक्री पर नहीं|
- इस वैश्विक महामंदी के आने के बाद जे.एम कीन्स ने सामाजिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र के मूल्यों को मिलाकर मिश्रित अर्थव्यवस्था का सिद्धांत दिया।
- जे.एम कीन्स को मिश्रित अर्थव्यवस्था का जनक कहा जाता है।
मिश्रित अर्थव्यवस्था(Mixed Economy):-
- ऐसी अर्थव्यवस्था जहां सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों का सहअस्तित्व होता है। उदा0–भारतीय अर्थव्यवस्था|
- इस अर्थव्यवस्था के अंतर्गत सरकार और बाजार मिलकर यह तय करते हैं कि–क्या उत्पादन करना है, कैसे उत्पादन करना है और कैसे वितरित करना।
- मिश्रित अर्थव्यवस्था में बाजार उन्हीं वस्तुओं और सेवाओं को उपलब्ध कराता है, जिसका वह अच्छा उत्पादन कर सकता है तथा सरकार उन आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं को उपलब्ध कराती है, जिन्हें बाजार उपलब्ध कराने में विफल रहता है।
विशेषताएं/लाभ-
- सामाजिक न्याय – समाज के निम्न तबके को मुख्य धारा में सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा साथ लेकर चला जाएगा।
- आर्थिक विकास के साथ सामाजिक विकास/संतुलित विकास।
- स्थिरता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, मिश्रित मूल्य प्रणाली।
हानि-
- विभिन्न क्षेत्रों में सामंजस्य– किसी भी वैज्ञानिक पद्धति के आधार पर यह निश्चित नहीं किया जा सकता कि किसी उद्योग को निजी क्षेत्र में होना चाहिए या सार्वजनिक क्षेत्र में, इससे दोनों क्षेत्रों में आपस में प्रतिस्पर्धा जैसी स्थिति उत्पन्न होती रहती है।
- नौकरशाही(Bureaucracy)–सरकार का ज्यादा हस्तक्षेप एवं कार्य में देरी।
- राजनीतिक दबाव (Political Pressure)–सरकार राजनीतिक दबाव में कोई ऐसा निर्णय ले सकती है, जो आर्थिक रूप से लाभदायक ना हो।