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अर्थव्यवस्था के क्षेत्र || Sectors of Economy:-

उत्पादन के आधार पर अर्थव्यवस्था के क्षेत्र–

  1. प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector):-
  • वह क्षेत्र जिसमें कच्चे माल का उत्पादन किया जाता है।
  • वह क्षेत्र जहां प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर कच्चे माल का उत्पादन किया जाता है।
  • उदा0–कृषि,पशुपालन(Animal Husbandry), मछलीपालन, मुर्गीपालन, उत्खनन, वानिकी(Forestry) etc.
  • विशेषताएं–

(i) शारीरिक शक्तियों का अधिक उपयोग
(ii) प्राथमिक क्षेत्र भारत में रोजगार में सर्वाधिक योगदान देता है।
(iii) आजादी के बाद प्राथमिक क्षेत्र के योगदान में निरंतर कमी हुई है।
(iv) इस क्षेत्र में काम करने वालों को लाल कॉलर श्रमिक कहते हैं।

2. द्वितीयक क्षेत्र (Secondary Sector):–
  • वह क्षेत्र जहां प्राथमिक क्षेत्र में उत्पादित कच्चे माल का उपयोग कर अंतिम वस्तु का निर्माण किया जाता है।
  • ऐसे भी “विनिर्माण क्षेत्र” या “औद्योगिक क्षेत्र” भी कहा जाता है।
  • उदाo– फैक्ट्री (उद्योग), बिजली, निर्माण (construction), पेट्रोल & गैस आदि|
  • विशेषताएं–
    (i) मानसिक एवं शारीरिक बल दोनों का प्रयोग होता है।
    (ii) रोजगार में लगभग इस क्षेत्र का 20% योगदान है।
    (iii) जीडीपी में लगभग 25% का योगदान है।
    (iv) इस क्षेत्र में काम करने वालों को “Blue color workers”(नीले कॉलर श्रमिक) कहते हैं।
  • भारत में द्वितीयक क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयास–
    (i) Product Linked Initiative/PLI– विनिर्माण
    (ii) Make In India/Made In India
    (iii) SEZ (सेज)
    (iv) Taxes (करारोपन)
    (v) भारत माला प्रोजेक्ट
    (vi) एक शहर एक उत्पाद
  • द्वितीयक क्षेत्र में समस्याएं (Challenges of Secondary sector)–
     (i) अत्यधिक पूंजी की आवश्यकता
    (ii) आधारभूत ढांचे की कमी (Lack of Infrastructure)
    (iii) कार्य कुशल श्रमिकों की संख्या की कमी
    (iv) तकनीकी एवं नवाचार में कमी (Lack of Technology & Innovation)
3. तृतीयक क्षेत्र (Tertiary Sector):–
  • वह क्षेत्र जहां सेवाओं से संबंधित समस्त उद्योग शामिल है।
  • इसमे “सेवा क्षेत्र” भी कहा जाता है।
  • उदाo– दूरसंचार, यातायात, IT(सूचना प्रौद्योगिकी), होटल व्यवसाय, बैंकिंग, रियल एस्टेट आदि।
  • विशेषताएं–
    (i) मानसिक बल का अधिक प्रयोग
    (ii) कुशल श्रमिकों की आवश्यकता
    (iii) जीडीपी में सर्वाधिक योगदान (55%)
    (iv) इस क्षेत्र में काम करने वालों को “श्वेत कॉलर श्रमिक” (White Colar Labour) कहा जाता है।
4. चतुर्थ क्षेत्र (Quatarery Sector):–
  • ऐसा क्षेत्र जहां अच्छे मानवीय जीवन के लिए अनुसंधान एवं विकास शामिल हो।
  • इस क्षेत्र में वह उद्योग आते हैं, जो सूचना प्रदान एवं विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास(Research & Development) से संबंधित है।
  • उदाo– Software Development, Mutual Funds, ICT, Consultancy, ISRO etc.
5. पंचम क्षेत्र (Quinary Sector):—
  • समाज (Govt. + Public) में निर्णय लेने की प्रक्रिया से संबंधित क्षेत्र।
  • उदाo— DM(जिलाधिकारी), CEO, MD(प्रबंध निदेशक)
  • इस क्षेत्र में श्रमिको को “Golden Collor Worker” कहते हैं।

पूंजी क्या होती है?

पूंजी (Capital):—
  • धन सम्पदा(Wealth) का वह हिस्सा जो किसी उत्पाद कार्य में सलग्न या शामिल हो।
  • पूंजी के प्रकार—

(i) भौतिक पूंजी (Physical Capital)– मुद्रा, सोना, कीमती वस्तु आदि।
(ii) मानव पूंजी (Human Capital)- जब मानव का उपयोग एवम परिवर्तन किसी उत्पाद प्रक्रिया में किया जाय।

मानव पूंजी का निर्माण ( Human Capital Formation)— मानव पूंजी निर्माण वह प्रक्रिया है, जिसके अन्तर्गत मानव संसाधन को अधिक कौशलयुक्त, अधिक ज्ञानप्राप्त कर्यालय में परिवर्तन किया जाता है।

मानव पूंजी निर्माण के स्रोत (Source of Human Capital Formation)—

(i) शिक्षा
(ii) स्वास्थय
(iii) प्रशिक्षण (Training)
(iv) सूचना
(v) Migration (प्रवास)– गांव से शहर की ओर निवास।