मुद्रास्फीति(Inflation)
मुद्रास्फीति(Inflation) क्या है?
वस्तुओं के सामान्य मूल्य स्तरों में निरंतर वृद्धि को मुद्रास्फीति कहते हैं।मुद्रास्फीति में मुद्रा आपूर्ति में वृद्धि होती है एवं मुद्रा की कीमत में ह्रास होता है।
मुद्रास्फीति का विभाजन– कारणों के आधार पर मुद्रास्फीति को दो भागों में विभाजित कर सकते हैं,
(i) मांग जनित मुद्रास्फीति(Demand Pull Inflation) या आपूर्ति घटित मुद्रास्फीति (Supply shock Inflation)—
(i) मांग जनित मुद्रास्फीति(Demand Pull Inflation) या आपूर्ति घटित मुद्रास्फीति (Supply shock Inflation)— मांग जनित मुद्रास्फीति, वह मुद्रास्फीति है, जिसमें वस्तुओं की मांग में वृद्धि हो जाने के कारण वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होती है।
(ii) लागत जन्य मुद्रास्फीति (Cost Push Inflation)— वस्तु की लागत में वृद्धि हो जाने के कारण जब वस्तु की कीमतों में वृद्धि होती है, तो उसे लागत जन्य मुद्रास्फीति कहते हैं।
मुद्रास्फीति अच्छी है या बुरी— मुद्रास्फीति की वृद्धि के कारण रोजगार में भर्ती होती है, उत्पादन में वृद्धि होती है।
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फिलिप्स वक्र– यह मुद्रास्फीति एवं बेरोजगारी के मध्य विपरीत संबंध दर्शाता है।
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मुद्रास्फीति के प्रकार (Degrees of Inflation):—
1. रेंगती मुद्रास्फीति(Creeping Inflation)– जब मुद्रास्फीति की तरह 3% से कम हो।
2. चलित मुद्रास्फ़ीति(Walking Inflation)– जब मुद्रा स्थिति की दर 3 से 7% के मध्य हो।
3. दौड़ती मुद्रास्फीति(Running Inflation)– जब मुद्रा स्थिति की दर 7%—दो अंको की हो।
4. कूदती मुद्रास्फीति(Galloping Inflation)– जब मुद्रास्फीति दर तीन अंको की हो।
5. हाइपर मुद्रास्फ़ीति(Hyper Inflation)– जब मुद्रास्फीति की दर तीन अंको से अधिक हो जाए।
मुद्रास्फीति की कुछ शब्दावली:—
1. मुद्रास्फीति जनित मंदी(Stagflation)– वह मुद्रास्फीति, जहां मुद्रास्फीति तो है लेकिन रोजगार पर प्रभाव नहीं है, उसे मुद्रास्फीति जनित मंदिर कहते हैं।
2. अवस्फीति(Disinflation)— मुद्रास्फीति की दर में कमी होने को अवस्फीति कहते हैं।
3. प्रत्यवस्फीति(Reflation)— यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मंदी से लड़ने के लिए मुद्रा आपूर्ति में वृद्धि की जाती है ताकि उत्पादन में वृद्धि हो।
4. अपस्फीति(Deflation)— वस्तुओं के सामान्य मूल्य स्तर में निरंतर कमी को अपस्फीति कहते हैं। (जब चीज सस्ती हो जाए)
विशेषताएं–
(i) मुद्रा आपूर्ति में कमी होती है।
(ii) मुद्रा की कीमत में वृद्धि होती है।
(iii) यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी नहीं है।
NOTE:- अपस्फीति [2 को तिमाही लगातार (6 माह)] = रिसेशन [1 तिमाही लगातार (3 माह)] = मंदी [1 तिमाही लगातार (3 माह)] = महामंदी(great Depression)
मुद्रास्फीति की गणना :—
- उत्पादक मूल्य सूचकांक(PPI)— वह सूचकांक है, जो उत्पादक द्वारा कीमतों में आए औसत बदलाव (परिवर्तन) को मापता है।
इसकी गणना “आर्थिक सलाहकार कार्यालय” द्वारा की जाती थी, लेकिन अब इसकी गणना भारत में नहीं की जाती है। - थोक मूल्य सूचकांक(WPI)-
- थोक विक्रेता स्तर पर कीमतों में परिवर्तन को मापने का सूचकांक है।
- हर महीने “आर्थिक सलाहकार कार्यालय” द्वारा इसकी गणना की जाती है।
Note— आर्थिक सलाहकार कार्यालय औद्योगिक संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग DPIIT (Department of Promotion of Industrial and Internal Trade) के अधीन कार्य करता है। - आधार वर्ष 2011-12 है
- WPI में तीन तरह के उत्पादों की गणना की जाती है।
(i) विनिर्माण वस्तुएं (Manufactured Goods)— 66%
(ii) प्राथमिक वस्तुएं (Primary Articles)— 22%
(iii) ईंधन एवं ऊर्जा (Fuel & Power)—18% - WPI में कुल 697 वस्तुएं गाना में ली जाती है
- 2014 से पूर्व DPI भारतीय अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति दर्शाने का प्रमुख सूचकांक होता था।
- फिर एक कमेटी ने बताया कि WPI में सेवाएं शामिल नहीं होती है।
3.उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI):–
इन तीनों क्षेत्रों की गणना CPI में श्रम विभाग करता है जो श्रमिक मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
4. नए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (New CPI):-
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- New CPI की करना राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा की जाती है।
- 2014 से नए CPI को मुद्रास्फीति सूचकांक के रूप में उपयोग किया जाने लगा।
- आधार वर्ष 2012
- आरबीआई का CPI लक्ष्य अधिकतम 6% एवं न्यूनतम 2% रहना चाहिए।
5. औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP):-
- कल 809 वस्तुएं की गणना की जाती है।
- NSO द्वारा गणना की जाती है।
- आधार वर्ष 2011-12
- कोर उद्योग— 40% (वह उद्योग जिन पर भारत की अर्थव्यवस्था टिकी हुई है। कुल 8 उद्योग) जैसे–प्राकृतिक गैस, कच्चा तेल, उर्वरक, कोयला, लोह एवं इस्पात, बिजली, सीमेंट, पेट्रोलियम रिफाइनरी।
- भर के आधार पर घटते क्रम में—
पेट्रोलियम रिफाइनरी >बिजली> स्टील>कोयला>कच्चा तेल> प्राकृतिक गैस>सीमेंट>उर्वरक
GDP के आधार पर भी मुद्रा स्पीति की गणना:–
आधार वर्ष 2011-12 मुद्रास्फ़ीति = नॉमिनल GDP ÷ वास्तविक GDP × 100
- जब हम आधार वर्ष के मूल्यों का प्रयोग करते हैं उन्हें स्थिर मूल्य कहा जाता है।
स्थिर मूल्य पर की गई जीडीपी की गणना को वास्तविक जीडीपी कहा जाता है। - जब वर्तमान मूल्य पर जीडीपी की गणना की जाए उसे नॉमिनल GDP कहते हैं।